हिंदी साहित्य की परंपरा अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। इसका आधार केवल लिखित ग्रंथों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें मौखिक परंपरा, लोककथाएँ, धार्मिक ग्रंथ, ऐतिहासिक दस्तावेज़ और समाज की जीवंत संस्कृति भी शामिल हैं। सबसे पहला प्रमुख स्रोत है संस्कृत साहित्य । हिंदी भाषा संस्कृत से ही विकसित हुई है, इसलिए संस्कृत के महाकाव्य, पुराण, उपनिषद और नाट्य परंपरा ने हिंदी साहित्य को गहराई और आधार प्रदान किया। संस्कृत के काव्य और नाट्यशास्त्र ने हिंदी कवियों के लिए आदर्श का काम किया। दूसरा स्रोत है प्राकृत और अपभ्रंश साहित्य । संस्कृत से जनभाषा की ओर …
हिंदी साहित्य भारतीय संस्कृति और समाज का गहरा प्रतिबिंब है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह जनमानस की भावनाओं और जीवन की सच्चाइयों को सहज रूप में अभिव्यक्त करता है। हिंदी साहित्य में सरलता, भावुकता और जीवन की निकटता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। सबसे पहली विशेषता यह है कि हिंदी साहित्य का संबंध सीधे लोकजीवन और लोकभाषा से रहा है। हिंदी कवियों और लेखकों ने हमेशा जनसामान्य की भाषा का प्रयोग किया, जिससे साहित्य हर वर्ग के लोगों तक पहुँच पाया। यही कारण है कि तुलसीदास, कबीर, सूरदास और प्रेमचंद जैसे रचनाकारों की कृतियाँ आज भी जनमानस में जीवित है…
हिंदी भाषा भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्रमुख भाषाओं में से एक है। इसका उद्भव संस्कृत से हुआ है। समय के साथ-साथ प्राकृत और अपभ्रंश रूपों से गुजरते हुए हिंदी का निर्माण हुआ। संस्कृत से प्राकृत, प्राकृत से अपभ्रंश और फिर अपभ्रंश से हिंदी का स्वरूप विकसित हुआ। यही कारण है कि हिंदी को संस्कृत की पुत्री भाषा कहा जाता है। हिंदी भाषा की उत्पत्ति का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना माना जाता है। 10वीं से 12वीं शताब्दी के बीच हिंदी के प्राचीन रूप देखने को मिलते हैं। इस काल में भाषा पूरी तरह से विकसित नहीं थी, लेकिन अवहट्ट और अपभ्रंश रूपों में लोकभाषा का …